फिर से दुआओं में किसी ने माँगा है मुझे मुझसे ज़्यादा किसी ने चाहा है मुझे फिर से दुआओं में किसी ने माँगा है मुझे मुझसे ज़्यादा किसी ने चाहा है मुझे
तुम्हारी बाँहों का अनमोल अनुपम हार माँगा है, तुम्हारी बाँहों का अनमोल अनुपम हार माँगा है,
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है। उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है।
कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। मधुरिम मधुरिम कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। म...
माँ माँ